द्रौपदी और घटोत्कच की कथा: आखिर द्रौपदी ने घटोत्कच को क्यों दिया था मृत्यु विश्राम? आप देख रहे हैं US VOICE NEWS तो चलिए करते हैं ज्ञान की बात. आगे बढ़ने से पहले कमेंट बॉक्स में जय श्री कृष्णा अवश्य लिखे. महाभारत से जुड़ी कई सारी ऐसी कथाएं हैं जिससे आज भी कई लोग अनजान है. आपने महाभारत के कई श्राप और वरदान के बारे में तो सुना या पड़ा होगा. महाभारत के कई श्राप लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है लेकिन क्या आपको यह पता है कि द्रौपदी ने घटोत्कच को भी एक श्राप दिया था और उसी श्राप की बदौलत घटोत्कच की मृत्यु हुई थी.
द्रौपदी का श्राप: क्या यही बना घटोत्कच के मृत्यु का कारण? (Draupadi ka Shrap: Kya Yehi Bana Ghatotkacha ke Mrityu ka Karan?)
दरअसल भीम और हिडिंबा के पुत्र का नाम घटोत्कच था. घटोत्कच ने कौरव सेना के कई लोगों का वध किया था. यही नहीं उन्होंने दुर्योधन तथा दुशासन को भी बुरी तरह घायल कर दिया था. घटोत्कच का विशाल शरीफ और मायावी शक्तियां बेहद ही खास थी और इसीलिए वह बेहद ही बलशाली भी थे. आपको बता दे की घटोत्कच की वजह से ही महाभारत के युद्ध में कोहराम मच गया था. घटोत्कच ने दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण कुमार का वध भी किया था. वहीं घटोत्कच का विवाह दैत्य राज मुरा की बेटी अहिल्यावती के साथ हुआ था जिन्हें मोरबी और काम क्रांति के नाम से भी जाना जाता है. घटोत्कच और अहिल्यावती के दो पुत्रों में घटोत्कच के एक पुत्र का नाम बर्बरीक और दूसरे का नाम अनजान परवाह था लेकिन कहते हैं कि घटोत्कच को उनकी ही पहले सौतेली माता यानी की द्रौपदी से मृत्यु श्राप प्राप्त हुआ था.
क्या द्रौपदी के श्राप ने घटोत्कच को बनाया बलि का बकरा? (Kya Draupadi ke Shrap ne Ghatotkacha ko banaya Bali ka Bakra?)
दरअसल घटोत्कच पहली बार अपने पिता भीम के राज्य में आए थे. घटोत्कच अपनी मां यानी कि हिडिंबा के आदेश का पालन किया करते थे फिर घटोत्कच ने द्रौपदी को आदर सम्मान नहीं दिया यह देखकर द्रोपदी का मन आहत हुआ और उन्हें अपमान महसूस हुआ जिसके बाद द्रौपदी ने गुस्से में घटोत्कच को यह श्राप दिया उन्होंने घटोत्कच को कहा कि वह एक विशिष्ट स्त्री है और पांडवों की पत्नी है और पांचाल देश के ब्राह्मण राजा द्रुपद की पुत्री है उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्रतिष्ठा पांडवों से कई अधिक है द्रौपदी ने गुस्से में यह तक कहा कि घटोत्कच ने अपनी मां राक्षसी हिडिंबा के आदेश पर महाराजाओं और विषयों से भरी सभा में उसका अपमान किया है अंत में द्रोपदी ने कहा कि घटोत्कच की आयु सीमा बेहद ही कब होगी और वह बिना किसी युद्ध के ही मर जाएगा.
युद्ध में वीरता, जीवन में अभिशाप: घटोत्कच की कहानी (Yudh me Virta, Jeevan me Abhishap: Ghatotkacha ki Kahani)
पौराणिक कथा के अनुसार करण ने घटोत्कच पर इंद्र का अमोघ अस्त्र चला दिया था जिसकी वजह से उसका वध हुआ था वैसे यह युद्ध घटोत्कच का तो नहीं था लेकिन अपने पिता भीम के आह्वान करने पर घटोत्कच को रणभूमि पर आना पड़ा, इसके बाद उसने पूरी कौरव सेना में हाहाकार मचा दिया.
कर्ण हो या फिर द्रोणाचार्य हो कोई भी उसकी शक्ति के आगे टिक नहीं पा रहा था ऐसे में दुर्योधन के कहने पर कर्ण ने अमोघ अस्त्र को स्वयं घटोत्कच पर चला दिया. यह वही अस्त्र था जो स्वयं उन्हें अपने कवच और कुंडल के बदले में इंद्रदेव से मिला था जिसका प्रयोग वह केवल एक ही बार कर सकते थे और जिस पर भी करते उसका वध निश्चित था. ऐसे में उन्होंने इस शास्त्रों को केवल अर्जुन के लिए बचाया था लेकिन घटोत्कच पर और उसकी शक्ति को देखते हुए उस पर यह अस्त्र प्रयोग में लाना पड़ा और इस तरह एक मायावी और बलशाली राक्षस का वध हुआ और कहते हैं उसके पीछे स्वयं द्रोपदी का ही वह श्राप था.
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