Is lord Hanuman Alive? आज भी इस पर्वत पर निवास करते हैं श्री राम भक्त हनुमान जी. लोगों ने कई बार कमरे में किया है उन्हें रिकॉर्ड. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्त बजरंगबली जो स्वयं एक चिरंजीवी है और उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान मिला है. ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी सतयुग से लेकर कलयुग तक उपस्थित है और यही कारण है कि वह आज भी धरती पर स्थित हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं. अब इस बात में कितनी सच्चाई है इसको जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें ताकि आप भी इस रहस्य से पर्दा उठा हुआ देख सके.
हनुमान जी आज भी जीवित हैं! राम नवमी पर लोगों को देते हैं दर्शन | Is lord Hanuman Alive?
पुराणों की माने तो प्रभु राम तथा देवी माता सीता ने पवन पुत्र बजरंगबली को कलयुग में धर्म के नाश और धर्म को फैलाने के लिए अमरता का वरदान दिया था. पृथ्वी लोक पर कुछ खास जगह को मारुति जी का निवास स्थान माना जाता है, उन्हीं में से एक है गंधमादन पर्वत आपको बता दे कि हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित एक जगह है जो गंधमादन पर्वत के नाम से जानी जाती है. फिलहाल यह क्षेत्र तिब्बत में आता है. यहां पहुंचने के तीन रास्ते हैं.
- पहले नेपाल के रास्ते हुए मानसरोवर के आगे जा सकते हैं.
- दूसरा भूटान के पहाड़ी क्षेत्र से है.
- तीसरा मार्ग अरुणाचल प्रदेश में होता हुआ जाता है.
कई पुराण में धर्म ग्रंथों में इस बात की पुष्टि हुई है कि गंधमादन पर्वत बजरंगबली का निवास स्थान है. श्रीमद् भागवत गीता में तो इस पर्वत के बारे में विस्तार से बताया गया है. वेदव्यास रचित महाभारत में भी इस पर्वत का उल्लेख मिलता है जिसमें पांडवों और पवन पुत्र हनुमान जी की भेंट के बारे में जानकारी दी गई है.
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आखिर पवनपुत्र हनुमान जी ने पूरी धरती पर सिर्फ और सिर्फ गंधमादन पर्वत को ही अपना स्थान क्यों चुना?
तो इस बात का जवाब हमें श्रीमद् भगवत पुराण में मिलता है. अगर इस ग्रंथ की माने तो भगवान राम धरती से बैकुण्ठ को प्रस्थान कर रहे थे तभी प्रभु ने हनुमान जी को धरती पर ही रहने का आदेश दिया और अपने प्रभु की इच्छा अनुसार पवन पुत्र बजरंगबली ने ऐश्वर्या शक्ति से युक्त गंधमादन पर्वत को अपना निवास स्थान चुनाव. वहां अपने अज्ञातवास के समय सभी पांडव हिमालय पार करके गंधमादन पर्वत के पास पहुंचे थे. कुंती पुत्र भी ब्रह्म कमल लेने के लिए इस पर्वत पर आए थे जहां उन्होंने हनुमानजी को लेटे हुए देखा भी और बजरंगबली को हटाने के लिए कहा, लेकिन अंजनी पुत्र वहां से नहीं हटे उन्होंने उल्टा भीम से ही उनके चरण पीछे करने के लिए कहा.
बलशाली होने के बावजूद भी हनुमान जी को नहीं हटा सके और इस तरह कुंती पुत्र भीम का अहंकार चूर-चूर हो गया और ऐसा माना जाता है कि भीम ने अपने क्रोध को यही हराया था. कैलाश की उत्तर दिशा के अलावा दक्षिण के रामेश्वर में भी एक गंधमादन पर्वत है. इस जगह से मारुति जी ने समुद्र पार कर लंका पहुंचने के लिए छलांग लगाई थी वही इंद्रलोक में जाते समय अर्जुन को हेमंत और गंधमादन को पार करते हुए बताया गया है. गंधमादन अपने आप में ही बहुत खास है पहले यह कुबेर के राज्य क्षेत्र में था. स्वर्ण नगरी लंका को खो देने के बाद धन के देवता कुबेर ने गंधमादन पर्वत पर ही निवास किया.
हनुमान जी आज भी जीवित हैं! राम नवमी पर लोगों को देते हैं दर्शन
बजरंगबली से पहले भी कई महापुरुष यहां रह चुके हैं. यह वही स्थान है जहां महर्षि कश्यप, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, ऋषि व्यास, विभीषण, बाली और परशुराम जी ने तब किया था और तो और मार्कंडेय ऋषि ने भी भगवान नारायण के उदय में भी गंधमादन पर्वत के दर्शन किए थे. इसके साथ कई देवता, ऋषि मुनि और अप्सरा और कीनर ने इस पर्वत को अपना निवास स्थान माना. यह सब वहां निर्भीक होकर विचरण करते हैं.
गंधमादन पर्वत का नाम आखिर कैसे पड़ा?
इसके पीछे एक रोचक कथा है. धर्म ग्रंथो के अनुसार इस पर्वत पर कई तरह की जड़ी बूटियों और वनस्पति है जिससे यह पूरा वन सुगंधित रहता है इसी के चलते पर्वत का नाम गंधमादन रखा गया. सुमेरु पर्वत के चारों तरफ में इस गढ़-जान पर्वत के नाम से जाना जाता है. आपको बता दे की गंधमादन पर्वत के शिखर पर किसी भी वहान से नहीं पहुंचा जा सकता है और तो और इस पर्वत पर कोई भी बुरी आत्मा नहीं पहुंच सकती क्योंकि पापियों का यहां रहने वाले विशाल सर्प, कीड़े मकोड़े डश लेते हैं.
इतना ही नहीं गढ़-मदन के पास बहुत सी छोटी स्वर्णमणि और मोतिया भी चमकते हैं. इस पर्वत पर मानव जीवन की अवधि 11000 वर्ष बताई गई है. यह विशाल पर्वत शिखर अमृत और अक्षय आनंद भुतही का अस्तित्व है और गंधमादन पर्वत पर एक भव्य मंदिर भी बना हुआ है जिसमें बजरंगबली के साथ-साथ प्रभु श्री राम आदि की मूर्तियां भी विराजित है. कहते हैं इस पर्वत पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम अपनी वानर सेना के साथ बैठकर युद्ध की योजनाएं बनाई करते थे और उसी के अनुसार इस पर्वत पर राम जी के पैरों के निशान आज भी मिलते हैं. तो आशा है आपको हमारी यह खास जानकारी जो हनुमान जी और गंधमादन पर्वत से जुड़ी हुई है बेहद रोचक और अच्छी लगी होगी इसीलिए कमेंट बॉक्स में जय श्री राम जय, श्री बजरंगबली अवश्य लिखिए.