window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-B9WXCH37G8'); तनाव का रहस्य: अभिमान से लेकर चिंता तक, जानिए आपके तनाव का कारण
Mon. Dec 23rd, 2024
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तनाव का रहस्य: अभिमान से लेकर चिंता तक, जानिए आपके तनाव का कारण

By usvoicenews.com Mar 5, 2024
तनाव का रहस्यKnow what is the reason for your stress in Hindi

तनाव का रहस्य: अभिमान से लेकर चिंता तक, जानिए आपके तनाव का कारण: आज के इस भाग दौड़ वाले जीवन में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जो तनाव का शिकार ना हो. तनाव का होना अच्छी बात है परंतु एक सीमा के बाहर तनाव का हो जाना भयानक हो सकता है. जब यही तनाव हमारे प्रतिदिन जीवन में हमें परेशान करने लगता है तभी नई-नई परेशानियां आकर खड़ी हो जाती है. हम सभी को पता है कि तनाव हमारे जीवन के लिए कितना हानिकारक है परंतु यह तनाव क्यों है? तनाव का सबसे मुख्य कारण क्या है? और इसे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको हमारी इस प्रस्तुति में मिलेंगे.

तनाव का रहस्य: अभिमान से लेकर चिंता तक, जानिए आपके तनाव का कारण The Mystery of Stress: From Pride to Anxiety, Know the Cause of Your Stress in Hindi

Sant-Ravidas-Jayanti तनाव का रहस्य: अभिमान से लेकर चिंता तक, जानिए आपके तनाव का कारण
Sant Ravidas Jayanti

काम, क्रोध, लोभ, अहंकार और ईर्ष्या मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु है जो मनुष्य के चरित्र वह आचरण दोनों को नष्ट भ्रष्ट कर देते हैं इसलिए इससे हमेशा दूर ही रहना चाहिए. संत रविदास जी ने अपना जीवन इन पांच शत्रुओं से सदैव दूर रखा और लोगों को भी इनसे दूर रहने की प्रेरणा दी. कई प्रकार के नशे है जिन्हें मनुष्य अनेक माध्यमों से ग्रहण करता है परंतु अभिमान का नशा किसी माध्यम से नहीं उत्पन्न होता यह स्वत सूक्ष्म रूप से हो जाता है और मनुष्य को पता भी नहीं चलता. मनुष्य को मिट्टी का पुतला कहा गया है जो बोलता है, चलता है और दुनिया के सारे काम करता है परंतु अंतिम समय में जब यह मिट्टी का पुतला मिट्टी में मिलने वाला होता है तब हमारी आंखें खोल देता हैं और सारा अभिमान चूर हो जाता है फिर मनुष्य अपने बुरे कामों के लिए पश्चाताप करता है.

मन की शांति कैसे पाएं? तनाव के कारणों से लड़ें, अभिमान को त्यागें How to Find Peace of Mind: Fight the Causes of Stress, Abandon Pride in Hindi

मन-की-शांति-कैसे-पाएं तनाव का रहस्य: अभिमान से लेकर चिंता तक, जानिए आपके तनाव का कारण

यह अभिमान बड़े-बड़े राजाओं और ऋषियों व मुनियों को भी हुआ. साधारण मनुष्य को तो छोटी-छोटी बातों पर भी अभिमान हो जाता है. नशीली चीजों द्वारा किया गया नशा सामान्यतः कुछ घंटे के बाद उतर जाता है परंतु अभिमान का नशा जल्दी नहीं उतरता वह जीवन भर ऐसा चढ़ा रहता है की अंतिम समय में ही उतारता है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और तब पश्चाताप ही शेष रह जाता है.

अभिमान का बोझ: तनाव का एक प्रमुख कारण

प्राचीन धार्मिक ग्रंथ कहते हैं कि अभिमान एक ऐसा कण है जो मनुष्य के जीवन का आनंद और ज्ञान चुरा लेता है तथा जीवन को विपत्तियों में डाल देता है. अभिमान रूपी कण मनुष्य के जीवन में चुपके से आता है और उसका आनंद बुद्धि तथा ज्ञान सब कुछ चुरा लेता है. ऐसी स्थिति में वह उस दीमक की तरह खाकर उसका जीवन खोखला कर देता है जिस प्रकार किसी पत्र में रखा तेजाब उस पत्र को ही खा जाता है. उसी प्रकार अभिमान का नशा जीवन रूपी पत्र को खा जाता है. हिरण्यकश्पयू और रावण अभियान के कारण ही मारे गए थे. महाभारत युद्ध का कारण भी अभिमान ही था. आज बड़े-बड़े देशों में तनाव है वह भी केवल अभिमान के कारण.

माया की चक्र चांद में मनुष्य यह भूल जाता है कि मैं क्या हूं फिर वह अभिमान के नशे में चूर होकर अंधकार में भटक जाता है उसकी स्थिति हवा के झोंके से उड़ते हुए सूखे पत्ते की तरह होती है जो यह गर्व करता है कि मैं पवन बाग की तरह उड़ रहा हूं लेकिन जब वह धरती पर गिरता है तो उसे महसूस होता है कि मैं हवा के कारण ही उड़ रहा था. इसी प्रकार मनुष्य की मन स्थित है वह अभिमान के नशे में यह भूल जाता है कि उसके पास अपना कोई बोल नहीं है बल्कि एक चेतन शक्ति है जिसके कारण उसका अस्तित्व है.

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तनाव से मुक्ति: अभिमान को दूर भगाने के सरल उपाय

कैसे टूटेगा अभियान का नशा क्या अंतिम काल तक प्रतीक्षा करनी होगी परंतु फिर तो कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि तब जीवन ही समाप्त हो जाएगा. लाभ तब है जब जीते जी इस अभियान से मुक्ति मिल जाए. यदि अभियान के नशे से छुटकारा पाना है तो सबसे पहले अहंकार से बचने का निर्णय करना होगा. संत महात्माओं ने कहा है कि जीवन में ज्ञान का प्रकाश होना बहुत आवश्यक है उसी से अज्ञानता के अंधकार का नाश होगा वह अहंकार को भी एक तरह का आज्ञा मानते हैं.

ज्ञान और प्रकाश के बारे में वे बताते हैं की मृत्यु का ज्ञान ही वास्तविक ज्ञान है यह जान लेना की एक दिन सब कुछ समाप्त हो जाएगा यह परम सत्य है अहंकार रूपी कण हमारे अंदर प्रवेश करके हमारे सुख और आनंद को चुरा रहा है जैसे उजाला होने पर कण भाग जाते हैं वैसे ही मृत्यु का ज्ञान होते ही अहंकार रूपी कण भी भाग जाएगा. हर पल इस ज्ञान का प्रकाश जितना बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे ही अहंकार का भाव घटता चला जाएगा इसी प्रकार हमें शांत और तनाव हैं जीवन उपलब्ध हो सकेगा वस्तुतः किसी को भी यहां हमेशा नहीं रहना है मनुष्य को सदैव इसका आभास होना चाहिए इसी से वैराग्य की भावना उत्पन्न होगी कि एक न एक दिन तो इस दुनिया को छोड़कर जाना है. जो लोग ज्ञान भक्ति और वैराग्य से अहंकार के नशे को समाप्त कर देते हैं वही सहज जीवन बिताने में सफल होते हैं. आज के लिए केवल इतना ही.

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