माता वैष्णो देवी और भगवान श्री राम की प्रेम कहानी: आखिर क्या है माता वैष्णो देवी और भगवान श्री राम की प्रेम कहानी. आखिर क्यों माता वैष्णो देवी भगवान श्री राम से विवाह करना चाहती थी? उत्तर भारत में हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थान वैष्णो देवी के बारे में सभी हिंदू जानते हैं. जम्मू के त्रिकूट पर्वत पर माता वैष्णो देवी की एक भव्य गुफा बनी हुई है और इस गुफा में प्राकृतिक रूप से तीन पिंडी बनी हुई है यह तीनों पिंडिया देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और देवी काली की है. वैष्णो देवी की यात्रा करने वाले सभी भक्तों को इस छोटी सी गुफा में होकर इन्हीं पिंडियों के दर्शन करने होते हैं लेकिन फिर भी इस गुफा को माता वैष्णो देवी की गुफा कहा जाता है.
आखिर वैष्णो देवी श्री राम से विवाह क्यों करना चाहती थी?
वास्तव में यहां माता वैष्णो की ना तो कोई पिंडी मौजूद है और ना ही कोई मूर्ति या छवि, बल्कि कहा जाता है की माता वैष्णो यहां अदृश्य रूप में मौजूद है और इसी वजह से इन्हें वैष्णो देवी तीर्थ कहा गया है. लेकिन आखिर Mata Vaishno Devi और भगवान Shri Ram की प्रेम कहानी किस तरह से जुड़ी हुई है? क्या मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने माता वैष्णो देवी से प्रेम किया था कि आज तक माता वैष्णो देवी सिर्फ और सिर्फ त्रिकूट पर्वत पर भगवान श्रीराम का इंतजार कर रही है और उन्हीं के लिए कुंवारी है?
Why did Vaishno Devi want to Marry Shri Ram?
दरअसल उसके पीछे एक खास पुरानी कथा है जो मार्कण्डेय पुराण (Markandey Puran hindi) में बताई गई है. यह कथा भगवान श्री राम और माता त्रिकुटा की प्रेम कथा है बताया जाता है की माता त्रिकुटा यहां अदृश्य रूप में भगवान श्री राम के उस वचन के पूरा होने का इंतजार कर रही है जो भगवान श्री राम ने लंका से लौटते समय देवी त्रिकुटा को दिया था. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार जब त्रेता युग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ तब इस समय धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु के अंश से एक कन्या का जन्म दक्षिण भारत के रामेश्वर तट पर पंडित रत्नाकर के घर हुआ लेकिन कन्या के जन्म से पहले ही रत्नाकर ने प्रभु से वचन लिया कि यह कन्या जो कुछ भी करेगी उसे रोका नहीं जाएगा, इस कन्या का नाम त्रिकुटा रखा गया.
जब यह कन्या 9 वर्ष की हुई तब इन्हें पता चला कि भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया है और तभी देवी त्रिकुटा ने अपने पिता की आज्ञा से समुद्र के किनारे श्री राम को पति रूप में पाने की तपस्या शुरू कर दी. रावण ने जब माता सीता का हरण किया और जब भगवान राम माता सीता को ढूंढते हुए रामेश्वर तट पर पहुंचे तब श्री राम और देवी त्रिकुटा की पहली मुलाकात हुई और श्रीराम के दर्शन करते ही देवी त्रिकुटा ने राम को पति रूप में प्राप्त करने की इच्छा को प्रकट किया लेकिन भगवान श्री राम ने देवी त्रिकुटा से कहा कि मैं अपने इस अवतार में एक पत्नी व्रत रहने का वचन लिया है और मेरा विवाह सीता से हो चुका है, यहां मैं अपनी पत्नी सीता को रावण से कैद और मुक्त करने के लिए आया हूं इसलिए मैं आपसे विवाह नहीं कर सकता.
लेकिन देवी त्रिकुटा अपने पर अडी रही. जब बहुत प्रार्थना करने के बाद श्री राम उनके उत्तर नहीं दे पाए तब श्री राम ने देवी त्रिकुटा से कहा कि अभी वह अपनी पत्नी सीता को मुक्त करने लंका जा रहे हैं लेकिन रावण को परास्त करके और माता सीता को वापस लेकर जब वह लंका से लौटेंगे और अगर लंका से लौटते समय उनके पास आएंगे तब यदि देवी त्रिकुटा श्रीराम को पहचान लेती है तो वह उनसे विवाह कर लेंगे.
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श्री राम ने दिया माता वैष्णो देवी से शादी करने का वचन, कलयुग में कल्कि अवतार लेकर करेंगे मां वैष्णवी से विवाह
श्री राम का यह वचन सुनकर देवी त्रिकुटा प्रसन्न हो गए और तपस्या में लीन होकर श्री राम के आने का इंतजार करने लगे. लंका से लौटते समय श्रीराम ने अपने वचन का पालन किया और देवी त्रिकुटा के पास आए लेकिन भगवान श्री राम की माया की वजह से देवी त्रिकुटा उन्हें पहचान नहीं सकी तब भगवान श्री राम ने देवी त्रिकुटा को वचन याद दिलाया लेकिन तभी देवी त्रिकुटा दुख से भर गई, त्रिकुटा के दुख को दूर करने के लिए भगवान श्री राम ने उन्हें बताया कि देवी त्रिकूट पर्वत पर एक दिव्य गुफा मौजूद है और उस गुफा में तीनों महाशक्तियां माँ सरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली पिंडी रूप में विराजमान है अगर देवी त्रिकुटा भी वैष्णवी के रूप में उस गुफा में जाकर उनके प्रतीक्षा करती है तब कलयुग में जब वह अपना अंतिम अवतार यानी Kalki Avatar लेंगे तब वह उनसे विवाह जरूर करेंगे तब तक वह धर्म का पालन करने वाले भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करेंगे.
श्री राम ने अपने वचन के साथ महावीर बजरंगबली हनुमान जी को भी उनकी सेवा में रहने का आदेश दिया और उनकी रक्षा में उनकी सहायता करने के लिए कहा इसलिए आज तक हनुमान जी को अजर अमर माना गया है. भगवान राम के आदेश से ही आज भी वैष्णो माता त्रिकूट पर्वत में माता वैष्णो देवी गुफा में अदृश्य रूप में उनकी प्रतीक्षा कर रही है और अपने दरबार में आने वाले भक्तों के हर दुख को दूर कर उनकी झोली में खुशियां बढ़ती है.
तो यह भी माता वैष्णो देवी और भगवान श्री राम की प्रेम कहानी जो अब तक अधूरी है और माता वैष्णो आज भी कुंवारी वैष्णो गुफा में श्री राम की प्रतीक्षा में है लेकिन जल्द ही भगवान विष्णु कलयुग के अंत में कलकी अवतार लेंगे जो स्वयं भगवान श्री राम का ही अवतार होगा और तब माता त्रिकुटा की प्रतीक्षा खत्म होगी और उसके बाद ही त्रिकुटा से स्वयं कलकी अवतार विवाह करेंगे तो अगर दोस्तों आपको हमारी एक खास जानकारी अच्छी लगी है तो साझा जरूर करें और कमेन्ट में जय माता दी, जय श्री राम अवश्य लिखे.
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