Chaitra Navratri 2025 क्यों मनाया जाता है ? 2025 राम नवमी कब है? नवरात्र में 9 दिन ही क्यों होते हैं? 2025 नवरात्रो पर माता दुर्गा इस वर्ष कोनसे वाहन पर बैठ कर आयेंगी? कैसा जाएगा ये साल जानिये Exclusive Fact About Chaitra Navratri 2025 के इस लेख में चलो जानते हैं
तो जैसा कि आप जानते हैं कि ये त्यौहार हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है लोग नवरात्रो के आरंभ होने से पहले ही घर की साफ-सफाई कर लेते हैं क्योंकि माता दुर्गा का आगमन होने वाला होता है और माता स्वच्छ पर्यावरण में ही निवास करती है और सभी इस बात का बहुत ही ध्यान रखते हैं सभी चाहते हैं कि उनके घर माता आएं और सबको अपना आशीर्वाद दें|
इस वर्ष चैत्र नवरात्रे कब से शुरू है? – Chaitra Navratri
2025 हिंदू नववर्ष के साथ चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही इस वर्ष के नवरात्रे भी शुरू हो रहे हैं जो कि 30 मार्च से रेवती नक्षत्र और इंद्र योग में आरंभ होकर 7 अप्रैल को समापत होंगे किन्तु पचांग के अनुसर इस वर्ष के नवरात्रे 8 दिन के है क्योंकि पचामा नवरात्र का दिन क्षय हो गया है तो इस बार राम नवमी 6 अप्रैल को मनायी जाएगी। चलिए अब आपको बताते हैं कि वर्ष के कौन से मुख्य नवरात्रे होते हैं|
कौन से नवरात्रि अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं | Chaitra Navratri और Shardiya Navratri
मनाएताओ के अनुसर वर्ष में नवरात्रे चार बार आते हैं माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन।किन्तु चैत्र माह के और शरद के नवरात्रे अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं और लोग अधिक्तर इन्ही दो नवरात्रों को महत्व देते हैं और इन्ही पर उपवास और माता का पूजन करते हैं।
चैत्र नवरात्रो और शरदीय नवरात्रो में कुछ ही प्रमुख अंतर है|
- इस में समय अलग-अलग होते हैं चैत्र नवरात्रे वसंत ऋतु में और शारदीय नवरात्रे वसंत ऋतु में आते हैं|
- चैत्र नवरात्रे नव वर्ष के अवसर के रूप में और शारदीय बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है|
- चैत्र नवरात्रो पर शक्ति और विष्णु भगवान की पूजा होती है और शारदीय में माता शक्ति की पूजा होती है|
- चैत्र नवरात्र में व्रत का महत्व होता है और शारदीय में सात्विक उपासना का महत्व होता है|
- चैत्र नवरात्र नौवे दिन माता का पूजन होता है और शारदीय में विजयदशमी को पूजन होता है|
नवरात्रे 9 दिन ही क्यों मनाए जाते हैं? | क्या है इसके पीछे की कहानी?
पौराणिक कथा के अनुसर महिषासुर एक आधा मनुष्य और आधा भैंस था क्योंकि उसके पिता रंभ जो कि असुरो के राजा थे और उसकी माता महिषी थी जो कि भैंस थी उन्होंने अग्नि देव की तपस्या कर के एक पुत्र प्राप्त किया।
जिसका नाम था महिषासुर |महिषासुर ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान मांगा की देवता या दानव उसे मार नहीं सकते, इस वरदान को प्राप्त करने के बाद उसने स्वर्ग लोक पर हमला कर दिया और इंद्र को हरा कर स्वर्ग को अपने कब्जे में कर लिया।
तब सभी देवताओं ने मिलकर माता भगवती देवी दुर्गा का आह्वान किया था सभी देवताओं ने अपने-अपने शस्त्रों को माता को दे दिया था और माता दुर्गा ने 9 दिन तक महिषासुर से युद्ध किया और नोवी रात्रि को त्रिशूल से उस असुर का वध कर दिया था
महिषासुर का वध करने से माता को महिषासुरमर्दिनि की उपाधि मिली थी और जबसे माता के 9 रूपो की पूजा होती है|और ये युद्ध 9 दिन चला था इसलिए इसे नवरात्रे कहते हैं अब आपको पता चल गया होगा कि नवरात्रे 9 दिन ही क्यों मनाए जाते हैं चलिए अब जानते हैं कि माता इस वर्ष किस वाहन पर बैठ कर आएंगी
chaitra navratri पर माता दुर्गा कोनसे वाहन पर बैठ कर आएगी और कैसा जाएगा ये वर्ष?
इस वर्ष 2025 के चैत्र माह के नवरात्रो पर ज्योतिष के अनुसार माता भगवती देवी दुर्गा इस वर्ष हाथी पर बैठेंगी और हाथी वाहन बहुत ही शुभ मन जाता है तो ये वर्ष बहुत ही शुभ रहेगा और आपको बता दे कि माता का वाहन हर वर्ष बदलता है और ये दिन और वार के अनुरूप तय होता है|
चैत्र नवरात्रो पर कलश स्थापना कैसे करें |माता का पूजन कैसे करें?
शुभ मुहूर्त कब है?
चलिए सबसे पहले ये जान लेते हैं कि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कब है चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तिथि 29 मार्च को दोपहर 4 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी और 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समापत हो जाएगी तो कलश स्थापना मुहूर्त उदय तिथि के अनुसर 30 मार्च को कलश स्थापना होगी।
- 30 मार्च को सुबह का पहला कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
- दूसरा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
चलिए अब जानते हैं कि कलश स्थापना कैसे करें वो भी विस्तार से|
- घर की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए और नवरात्रो से पहले ही पूजा घर की साफ सफाई करले|
- सबसे पहले एक मिट्टी के बर्तन या पात्र में जौ बो ले|
- कलश में गंगा जल भर के उसमें हल्दी, अक्षत, सुपारी, दूर्वा घास और कुछ सिक्के डाले|
- फिर कलश के ऊपरी भाग पर आम के पत्ते रखे और फिर उसके ऊपर नारियल रखे और कलश को जौ के बर्तन के ऊपर रखे|
- अब आप माता दुर्गा की आरती करें और उनका आह्वान करें और 9 दिन तक उनकी विधिविधान से उनका पूजन करें|
चलिए अब माता दुर्गा के पूजन के बारे में जान लेते हैं
- नो दिनो तक भक्तजन उपवास रखते हैं और माता दुर्गा की आराधना करते हैं|
- देवी दुर्गा का प्रतिदिन सुबह और शाम पूजन करना चाहिए और उन्हें फलो का भोग लगाना चाहिए|
- नवरात्रो में सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक चीज़ों से दूर रहना चाहिए और घर की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए|
- अष्टमी या नवमी वाले दिन आप को कन्या भोजन कराना होता है जिसमें माता दुर्गा का प्रिय भोग जैसे की हलवा, पूरी-चना और आलू की सब्जी आदि व्यंजनों का भोग छोटी कन्याओं को कराते हैं और कन्याओं को उपहार में टिफिन बॉक्स, पेंसिलबॉक्स, और बहुत सी चीजें जो बच्चों को पसंद हैं देकर उन्हें विदा करते हैं और कन्याओं के पैर छूते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं ऐसे आपका नवरात्रे का व्रत पूर्ण हो जाता है|
माता दुर्गा के 9 रूपो के नाम क्या है?|और उनके स्तुति मंत्र
- शैलपुत्री ~ॐ शैलपुत्र्यै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- ब्रह्मचारणी ~ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- चन्द्रघंटा ~ॐ चंद्रघन्टायै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- कूष्मांडा ~ “ॐ कूष्माण्डायै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- स्कंदमाता ~“ॐ स्कंदमातायै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- कात्यायनी ~ “ॐ कात्यायन्यै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- कालरात्रि ~ ॐ कालरात्र्यै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- महागौरी ~ ॐ महागौर्यै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- सिद्धिदात्री ~ “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
तो अब आपने जान लिया ये स्तुति मंत्रो को जिन का जाप आप नवरात्रो में जिस से आप सभी माताओ की स्तुति कर पाएंगे और माताओ का आशीर्वाद आप प्राप्त कर पाएंगे।चलिए अब कुछ महत्वपूर्ण तथ्य को भी जान लेते हैं.
Chaitra Navratri पर 9 दिनों में किस-किस रंग के वस्त्र पहनने रहेंगे शुभ?
चलो नवरात्रो पर हर दिन के शुभ रंगो के बारे में जान लेते हैं तो 2025 के नवरात्रों के सुबह रंग हैं|
- पहले नवरात्रि पर पीला पहनना चाहिए इस से आपके जीवन में सकारात्मकता आती है|
- दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता का दिन होता है तो सफ़ेद पहनना चाहिए|
- तीसरे दिन चंद्रघंटा माता का दिन है तो ग्रे पहनना चाहिए जो कि संतुलन का प्रतीक है|
- चौथा दिन नारंगी पहनना चाहिए ये जोश और ऊर्जा का प्रतीक है|
- पांचवां दिन स्कंदमाता का दिन है तो इस दिन पिला या सफेद पहनना चाहिए|
- छठे दिन हरा पहनना चाहिए जो विकास और समृद्धि का प्रतीक है|
- सातवें दिन माता कालरात्रि को समर्पित है तो इस दिन कत्थई या ग्रे पहनना चाहिए|
- आठवे दिन सफेद और बैंगनी पहनना चाहिए जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है|
- नौवें दिन हरा पहनना चाहिए जो कि खुशहाली का प्रतीक है|
अब आपको पता है कि चैत्र नवरात्रो पर किस दिन पर कौनसा रंग पहनना चाहिए|तो क्या आपको पता है कि माता दुर्गा के पति कौन हैं?नहीं चलिए जानते है|
माता दुर्गा के पति कौन हैं?
तो आपको बता दें कि माता दुर्गा के पति शास्त्रो के अनुसर उनके पति भगवान शिवजी हैं क्योंकि माता दुर्गा पार्वती माता का ही रूप है|
रामनवमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है?| कहानी क्या है?
पौराणिक कथा के अनुसार रामजी का जन्म शुक्ल पक्ष के नौवे दिन हुआ था तो इस दिन को रामजी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है इस वर्ष 2025 राम नवमी 6 अप्रैल को मनाई जाएगी|
आशा है कि आपको चैत्र नवरात्र की सारी जानकारी मिल गई होगी जो भी आपके सवाल है उनके जवाब आपको मिल गए होगे तो Exclusive Fact About चैत्र नवरात्रे 2025 ये लेख यहीं समाप्त होता है अगर आपको ये लेख अच्छा लगे तो आप इसे अपने social media handle पर अपनी पोस्ट कर सकते हैं और अपने प्रियजनो को भेज सकते हैं इस लेख को अपना समय देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद|
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