Ram Naam Ki Mahima: राम नाम की महिमा क्या है यह तो हम सभी को पता है. जब जब धरती पर त्राहि त्राहि मची, अत्याचारियों के अत्याचार बढ़े, तब तब भगवान ने अवतार लिया और धरती से पाप व अत्याचार को मिटा कर धरती का उद्धार किया. इस दो अक्षर से बने राम नाम की महिमा भी अपरंपार है. राम नाम का स्मरण करके हम जीवन की कठिनाई का निवारण कर सकते हैं. श्री राम जी के नाम से जुड़ी कथाएं व विशेषताएं आज हम आपको इस प्रस्तुति के द्वारा दर्शाएंगे. कृपया आर्टिकल को अंत तक पढ़ें, अधिक समय न लेते हुए आरंभ करते हैं.
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Ram Naam Ki Mahima: आखिर राम नाम की महिमा का इतना महत्व क्यों है जाने इस आर्टिकल में
भगवान राम की चारित्रिक विशेषताएं, उनका जीवन व शिक्षाएं आज भी सर्वथा प्रचलित है. शुक्ल नवमी के दिन त्रेता युग में रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ एवं महारानी कौशल्या के यहां श्री राम ने पुत्र के रूप में जन्म लिया. श्री राम के जन्मोत्सव को देखकर देवलोक भी अयोध्या के सामने फीका लग रहा था. देवता, ऋषि, किन्नर, चरण सभी जन्मोत्सव में शामिल होकर आनंद उठा रहे थे. भगवान राम हमारे जीवन के प्रत्येक रंग में समय हुए हैं. हम आधुनिक समाज में बहुत कल मिल गए हैं परंतु हमने राम-राम कहना नहीं छोड़ा. हम प्रतिदिन अच्छे बुरे अवसरों पर राम नाम ही लेते हैं. आज भी हम राम-राम या जय राम जी की कहकर अभिवादन करते हैं.
जीवन के अंतिम समय में बिछड़ने पर राम-राम का ही उल्लेख होता है. समस्या के आने पर विपत्तियों से गिरने पर राम अथवा अरे राम सहसाही हमारे मुख से निकल पड़ता है. जीवन में प्रसन्नचित होने पर हम राम जी की कृपा के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं. राम नाम की बड़ी अद्भुत महिमा है. बस जरूरत है श्रद्धा, विश्वास और भक्ति की.
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Ram Naam Ki Mahima | राम नाम की महिमा: राम से बड़ा राम का नाम
राम नाम स्वयं ज्योति है, स्वयं नारायण है. राम नाम के महामंत्र को जपने में किसी विधान स्थान या समय का बंधन नहीं है. ऐसे ही एक बहुत प्रचलित कथा है जब हनुमान जी संजीवनी बूटी का पर्वत लेकर लौटते हैं तो भगवान से कहते हैं प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था बल्कि मेरा भ्रम दूर करने के लिए भेजा था और आज मेरा यह भ्रम टूट गया कि मैं ही आपका राम नाम का जाप करने वाला सबसे बड़ा भक्त हूं.
भगवान राम बोले वह कैसे हनुमान?
तो हनुमान जी बोले, वास्तव में मुझसे भी बड़े भक्त भरत जी है मैं जब संजीवनी लेकर लौट रहा था तब मुझे भरत जी ने बाण मारा और मैं गिरा तो भरत जी ने ना तो संजीवनी मंगाई ना भेद को बुलवाया कितना विश्वास है उन्हें आपके नाम पर उन्होंने कहा कि यदि मन वचन और शरीर से श्री राम जी के चरण कमल में मेरा निष्कपट प्रेम हो यदि रघुनाथ जी मुझ पर प्रसन्न हो तो यह वानर थकावट और पीड़ा से रहित होकर स्वस्थ हो जाए, उनके इतना कहते ही मैं स्वस्थ हो गया. सच में कितना विश्वास है भरत जी को आपके नाम पर और क्यों ना हो राम नाम में बोल ही इतना है.
मनुष्य भगवान का नाम तो लेते हैं परंतु विश्वास नहीं करते विश्वास करते भी है तो अपने पुत्रों एवं धन पर करते हैं. हम मानते हैं कि वृद्धावस्था में पुत्र ही सेवा करेगा धन ही साथ देगा किंतु उस समय हम यह भूल जाते हैं कि जिन भगवान का नाम हम जप रहे हैं वह हमारी रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं पर हम विश्वास नहीं करते, बेटा सेवा करें या ना करें परंतु विश्वास हम उन्हें पर करते हैं.
राम नाम अथवा मंत्र जपते रहने से मन और मस्तिष्क पवित्र होते हैं और व्यक्ति अपने पवित्र मन में पर ब्रह्म परमेश्वर के अस्तित्व को अनुभव करने लगता है. घोर कलयुग में राम नाम का उच्चारण मात्र मातृ दहिक दैविक और भौतिक सभी प्रकार के विकार से मुक्ति दिलाता है.
राम नाम मनिदीप धरु, जीह देहरीं द्वार। तुलसी भीतर बाहेरहुँ, जौं चाहसि उजिआर॥
तुलसीदास जी कहते हैं यदि तू भीतर और बाहर दोनों और उजाला चाहता है तो मुख्य रूपी द्वार की जीव रूपी डेली पर राम नाम के दीपक को रख जीवन के प्रति जिस व्यक्ति को कम से कम निंदा है वही इस जगत में अधिक से अधिक सुखी है. यह राम नाम बहुत ही सरस, मधुर और अति मनभावन है. राम नाम जीवन भर ही नहीं अपितु जीवन के पश्चात भी साथ देता है इसलिए हर मनुष्य को राम नाम का स्मरण करना चाहिए. आज की यह जानकारी यहीं समाप्त होती है हम आशा करते हैं कि हमारी आज की प्रस्तुति आपको पसंद आई होगी. अपने विचार हम सभी के समक्ष अभिव्यक्त करने के लिए कमेंट करें.
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